कहीं बच्चों की संख्या शून्य तो किसी विद्यालय में शिक्षक ही नहीं
निजी शिक्षण संस्थानों ने बचा रखी है सरकार की नाक
Sanskrit education : देश की तमाम भाषाओं की जननी कही जाने वाली संस्कृत भाषा के स्कूल लगभग समाप्त होने की कगार पर पहुंच चुके हैं। जिस भाषा के चलते ही देश की तमाम बोलियों का अस्तित्व है उसी का गला उपेक्षा की रस्सी के सहारे घोटा जा रही है। सनातन संस्कृति की पक्षधर सरकारों के बावजूद मैहर-सतना सहित अन्य जिलों की संस्कृत शिक्षा दम तोड़ रही है। गनीमत है कि संस्कृत के कुछ निजी स्कूलों ने सरकार की लाज बचा रखी है अन्यथा सरकारी स्कूलों की पहचान लगभग मिट चुकी है। संस्कृत भाषा के स्कूलों का हाल यह है कि कहीं छात्रों की संख्या शून्य हो गई तो कहीं पर शिक्षक भी नहीं बचे। कहीं शिक्षक के अभाव में बच्चे नहीं पढ़ पा रहे तो कहीं छात्रों के बिना शिक्षक अपनी उपयोगिता साबित नहीं कर पा रहे। The Khabrilal की टीम ने जब इस मामले की पड़ताल की तो अफसरों ने सुधार का भरोसा दिया, लेकिन वह कितने सफल होंगे यह तो वक्त ही बताएगा।

ऐसा है स्कूलों का हाल
केस-1
शासकीय अभय संस्कृत विद्यालय अमरपाटन जर्जर हालात में है। शिक्षक एक भी नहीं। समाजिक विज्ञान के शिक्षक को अटैच किया गया है और एक अतिथि शिक्षक है। चार शिक्षक यहा पदस्थ थे जिनमें से एक शिक्षक कृष्ण कुमार सिंह की मृत्यु हो गई। तीन शिक्षिका श्रीमति कृष्णेन्दु गौतम, श्रीमती लक्ष्मी मिश्रा,श्रीमती संध्या गौतम ने अपना तबादला करा लिया। यहा बच्चों की संख्या 26 है मगर संस्कृत शिक्षक एक भी नहीं। बिल्डिंग जर्जर है।कक्षा 9 में 12 बच्चे हैं ,10 वीं में 7 और 11वीं में 2 वहीं 12 वी में 5 बच्चे हैं।

केस-2
शासकीय श्री देशिक संस्कृत विद्यालय मडफहा विद्यालय जर्जर है। चारो तरफ कटीली झाड़ियां हैं और बिल्डिंग की दुर्दशा है। यहां दो शिक्षक पदस्थ थे। बद्री पांडे और एक महिला शिक्षक थी जिन्होंने अपना तबादला कर लिया कई वर्षों से यह बिल्डिंग भी पूरी तरह से जर्जर है और बंद है।

केस -3
शासकीय संस्कृत विद्यालय हाई स्कूल कुटमी धाम। यहां बिल्डिंग में ताला जड़ा रहता है।कई वर्षों से यह स्कूल बंद है। यहां शिक्षकों की संख्या चार है।प्रधानाध्यापक एक, सहायक शिक्षक तीन और भृत्य का एक पद है मगर सिर्फ एक ही शिक्षक साल 6 महीने में विद्यालय खोलने आते हैं बाकी समय विद्यालय बंद रहता है।

केस-4
द्विजराज संस्कृत उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ताला (संदीपनी आश्रम) यह शासन से मान्यता प्राप्त विद्यालय है।जो निजी तौर पर चलाई जाती है। यहां कक्षा एक से 12 वीं तक पढाई होती हैं मगर बच्चों की संख्या कुल 10 है। शिक्षक प्राईवेट 4 हैं मगर इस विद्यालय भवन के भी हाल-बेहाल हैं।

इन स्कूलों के हाल भी बेहाल
शासकीय पुरुषोत्तम संस्कृत महाविद्यालय खजुरीताल संचालित है,लेकिन यहां भी स्थिति काफी दयनीय है। फिलहाल स्टाफ की गैरमौजूदगी के चलते जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी। शासकीय मद्राम सखेद्र संस्कृत उत्तर माध्यमिक विद्यालय मैहर में संचालित बड़ा अखाड़ा का भी यही हाल है।
क्या बोले जिम्मेदार
संस्कृत शिक्षा की जिला प्रभारी संगीता वस्तवार ने कहा कि संस्कृत भाषा देववाणी है, लेकिन इसके प्रति बच्चों का रुझान कम हो रहा है। सरकार ने संस्कृत का प्रचार-प्रसार का सुझाव दिया है। वहीं मैहर कलेक्टर रानी बाटड़ ने कहा कि संस्कृत के स्कूलों के लिए पहल की जाएगी।