The khabrilal news india Maihar news: ‘कठिन परिस्थिति में सदा, लेती खुद को ढाल। नारी इक बहती नदी, जीवन करे निहाल’ इन पंक्तियों को सही मायने में चरितार्थ किया है मैहर जिले के रामनगर विकासखंड के मड़करा गांव की अनुराधा सेन ने। अनुराधा पांच साल पहले तक घर की चार दीवारी में कैद रहकर जीवन गुजार रही थी। घर के अंदर घूंघट में रहकर केवल चूल्हा चौका करते हुए आर्थिक तंगी से जूझ रही थी, लेकिन राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एन.आर.एल.एम) के समूह से जुड़ कर न केवल खुद की किस्मत बदल दी बल्कि मैहर जिले के लिए आदर्श बनकर उभरी। यह सब संभव हुआ उनकी निजी इच्छा शक्ति से। आज उनका परिवार एक ट्रांसपोर्ट उद्यमी है। बताया जाता है कि अनुराधा सेन के परिवार में कुछ साल पहले उनके पति ही एक मात्र कमाते थे। तभी उनके जीवन में दुर्घटना हुई और परिवार की आय बंद हो गई। तब अनुराधा ग्राम पंचायत पुरैना के लक्ष्मी स्व सहायता समूह की सदस्य के तौर पर जुड़ीं और आज आजीविका एक्सप्रेस चला कर अपने परिवार को संकट से उबार लिया।

कैसे हुई शुरुआत
अनुराधा के लिए उसका घर ही पूरी दुनिया थी। सामाजिक बंधनों और लोगों की बातें उसके पैरों में बेड़ियों का काम कर रही थी। मगर परिवार को चलाने के लिए आय चाहिए थी लिहाजा उन्होंने लोक लाज कि परवाह छोड़ दी और समूह के जरिए प्रशिक्षण प्राप्त किया। कोरोना आपदा में मास्क बनाने का काम किया। इसके बाद स्कूल ड्रेस बनाया और अब दो-दो आजीविका एक्सप्रेस की मालकिन बन कर हर माह 70 हजार रुपये की इनकम प्राप्त कर रही हैं। उनका न केवल परिवार चल रहा है बल्कि बच्चों को भी रोजगार मिला हुआ है। कल तक जो मुह बुराई में खुला करते थे उन पर सफलता के बाद ताला लग चुका है।
गांव में चल रहा ट्रांसपोर्ट का काम
पुरैना पंचायत का मड़करा गांव सहित आसपास के गांव में आवागमन के साधन नहीं थे। अनुराधा ने आजीविका एक्सप्रेस की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि अब लोगों को आवागमन की सुविधा है। उन्होंने ने शासन की योजना का धन्यवाद ज्ञापित किया। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के सहायक विकास खंड प्रबंधक विनय कुमार पांडे ने कहा कि अनुराधा ने पूरी निष्ठा से काम किया और आज पूरे इलाके के लिए आदर्श स्थापित किया है।