Holi 2025 : होली के पावन अवसर पर सभागंज निवासी एवं बीएससी फाइनल ईयर की छात्रा गरिमा श्रीवास ने पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए जैविक गुलाल तैयार किया। केमिकल युक्त रंगों से होने वाले दुष्प्रभाव को ध्यान में रखते हुए गरिमा ने प्राकृतिक पदार्थों से जैविक गुलाल बनाया और इसे आमजन तक पहुँचाने की पहल की। इसी क्रम में गरिमा ने मैहर कलेक्टर रानी बाटड़ को जैविक गुलाल भेंट कर इस अभियान को प्रोत्साहित करने का आग्रह किया।

जैविक गुलाल की खासियत
गरिमा द्वारा तैयार किया गया यह जैविक गुलाल पूरी तरह से प्राकृतिक सामग्री से बनाया गया है। इसमें हल्दी, चंदन, फूलों की पंखुड़ियां और अन्य जैविक उत्पादों का उपयोग किया गया है, जो त्वचा और पर्यावरण दोनों के लिए सुरक्षित हैं। गरिमा का कहना है कि बाजार में उपलब्ध केमिकल युक्त रंग त्वचा पर एलर्जी, जलन और अन्य समस्याएँ उत्पन्न कर सकते हैं। वहीं, जैविक गुलाल त्वचा के लिए लाभदायक होता है और इससे किसी भी प्रकार की हानि नहीं होती।
कलेक्टर ने की सराहना
गरिमा श्रीवास ने जब मैहर कलेक्टर रानी बाटड़ को जैविक गुलाल भेंट किया, तो कलेक्टर ने उनके प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि लोगों को स्वास्थ्य के प्रति भी जागरूक करने का एक बेहतरीन तरीका है। उन्होंने गरिमा को इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया और अन्य लोगों को भी जैविक रंगों के उपयोग के लिए जागरूक करने का सुझाव दिया।
कैसे आया जैविक गुलाल बनाने का विचार
गरिमा ने बताया कि होली के दौरान कई लोगों को केमिकल रंगों से एलर्जी हो जाती है, जिससे उनकी त्वचा पर जलन,खुजली और अन्य दिक्कतें होती हैं। इसी समस्या को देखते हुए उन्होंने जैविक गुलाल बनाने का निर्णय लिया। उन्होंने पारंपरिक भारतीय विधियों का अध्ययन किया और प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग कर रंग तैयार किया। इस गुलाल को बनाने में हल्दी, पालक, चुकंदर, गुलाब की पंखुड़ियां और अन्य हर्बल सामग्रियों का उपयोग किया गया है, जिससे यह पूरी तरह से सुरक्षित और प्राकृतिक बना है।
स्थानीय लोगों में बढ़ी जागरूकता
गरिमा के इस प्रयास से स्थानीय लोगों मे जैविक रंगों को लेकर जागरूकता बढ़ रही है। कई लोग अब केमिकल युक्त रंगों की जगह जैविक गुलाल का उपयोग करने की बात कर रहे हैं। गरिमा ने बताया कि उन्होंने अपने इस उत्पाद को अपने परिवार और दोस्तों के बीच वितरित किया, जिससे सभी को जैविक गुलाल की गुणवत्ता और उपयोगिता का अनुभव हुआ। अब वह इस पहल को बड़े स्तर पर ले जाने की योजना बना रही हैं।
क्या है भविष्य की योजना
गरिमा चाहती हैं कि आने वाले समय में उनके जैविक गुलाल का उपयोग अधिक से अधिक लोग करें। उन्होंने स्थानीय प्रशासन से इस पहल को समर्थन देने की अपील की,जिससे यह जैविक रंग अधिक से अधिक लोगो तक पहुँच सके। इसके अलावा,वह आगे भी इस तरह के प्राकृतिक उत्पादो पर रिसर्च कर नई चीजे तैयार करने की योजना बना रही हैं। गरिमा श्रीवास ने सभी से अपील की कि इस होली पर केमिकल युक्त रंगों का त्याग कर जैविक गुलाल का उपयोग करें। इससे न केवल त्वचा सुरक्षित रहेगी, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुँचेगा। उनका मानना है कि छोटे-छोटे बदलाव बड़े परिणाम ला सकते हैं, और जैविक रंगों का उपयोग इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मैहर कलेक्टर रानी बाटड़ ने गरिमा के इस कार्य की प्रशंसा करते हुए सभी नागरिकों से जैविक रंगों के उपयोग को अपनाने और बढ़ावा देने का आग्रह किया।