खादी वस्त्र खरीदकर किया स्वदेशी वस्त्रों को प्रोत्साहित।
Desk Charkha Story: मैहर जिले का एक ऐसा गाव जहां आज भी स्वाबलंबन की प्रथा बरकरार है। इस गाव को लोग गांधी गाव के नाम से भी जानते जाता है, दरअसल मैहर ज़िले के रामनगर ब्लाक का यह सुलखमा गांव अपनी अनूठी पहचान के लिए प्रसिद्ध है। यहां के हर घर में चरखे की आवाज सुनाई देती है और खादी के वस्त्रों का निर्माण होता है। इसी खासियत को करीब से देखने और प्रोत्साहित करने के लिए मैहर कलेक्टर रानी बाटड़ ने हाल ही में इस गांव का दौरा किया। सुलखमा गांव का हर घर महात्मा गांधी के स्वावलंबन और स्वदेशी के संदेश को जीवंत करता है। कलेक्टर ने यहां ग्रामीणों से बातचीत की और उनकी समस्याओं को समझने का प्रयास किया। उन्होंने खादी के वस्त्र खरीदकर स्वदेशी उद्योग को अपना समर्थन भी दिया। इतना ही नहीं कलेक्टर रानी बाटड़ ने पीढ़ी दर पीढ़ी चल आ रहे चरखे से सूत कटाई कार्य को भी देखा हाथकरघा के कार्य में लगे हितग्राहियों से बातचीत भी की।

ग्रामीणों को मैहर में मिलेगा बाजार
सुलखामा गांव के निरीक्षण के दौरान कलेक्टर रानी बाटड़ ने तीन इधर पीढ़ी चल जा रहे चरके से सूट कटाई के कर को मौके पर देखा और उन्होंने हाथकरघा के कर में लगे कारीगरों से बातचीत करते हुए हस्तशिल्प और खादी की मार्केट के लिए मैहर के डिवाइस रोड में स्थित फॉरेस्ट रेस्ट हाउस के पास प्रदर्शन एवं विक्रय के लिए अधिकारियों को स्थल निर्धारित करने के निर्देश दिए हैं यह गांव आत्मनिर्भरता की मिसाल है। यहां का हर घर चरखा चलाकर खादी का निर्माण करता है। खादी न सिर्फ हमारे पूर्वजों की धरोहर है, बल्कि आज के समय में लोकल फॉर वोकल का जीता-जागता उदाहरण भी है।

कलेक्टर ने खरीदे खादी के वस्त्र
मैहर कलेक्टर ने भ्रमण के दौरान खादी के कपड़े खरीदे और उनकी कीमत का भुगतान कर यह संदेश दिया कि हमें लोकल उत्पादों को प्रोत्साहित करना चाहिए। उनका यह कदम ग्रामीण कारीगरों के लिए प्रेरणादायक रहा। आपको बता दे की रामनगर विकासखंड के अंतर्गत आने वाला दूरस्थ ग्राम पंचायत सुलखमा गांधी जी के आदर्शों पर चलने वाला गांव है यहा हर घर में चरखे की आवाज सुनाई देती है।