खंडहर हो रहे भवन
सवालों में घिरी सरकारी भुगतान प्रक्रिया
The Khabrilal News Desk: गौवंशों को स्थायी आवास उपलब्ध कराने के लिए पंचायत स्तर पर खोली गई गौशालाएं इन दिनों खाली चल रही हैं। रहस्यमयी तरीके से गौशाला खाली हैं और भवन भी खंडहर में तब्दील होने लगे हैं। जिस हाल में गौशालाएं हैं उसके बाद जिला स्तर पर होने वाला भुगतान भी सवालों में घिरा हुआ है। दरअसल जिले की तमाम गौशालाओं में गौवंश देखने को भी नहीं मिल रहा ,लेकिन रखरखाव और खान-पान के नाम पर लाखों रुपए के भुगतान पशु चिकित्सा विभाग द्वारा किया जा रहा है। नागौद विकासखंड की ग्राम पंचायत आमा, भाजीखेरा और शिवराजपुर में गौवंश का कहीं कुछ पता नहीं चल रहा। इसके बाद भी प्रत्येक तीन माह में सैकड़ों गौवंशों की उपस्थिति दर्ज कर भुगतान किया जा रहा है। ग्रामीणों का दावा है कि यहां की अधिकांश गौशालाएं खाली पड़ी रहती हैं इसके बाद भी फर्जी हाजिरी भरकर उनका भुगतान कर दिया जाता है।

सत्यापन में कहां से आ जाता है गौवंश
विभागीय जानकारों की माने तो प्रत्येक गौशाला में दर्ज गौवंशों का भौतिक सत्यापन ब्लॉक स्तर पर अफसरों के द्वारा किया जाता है। आमतौर पर गौशालाएं खाली पड़ी रहती हैं, लेकिन सत्यापन के समय अचानक गौवंश प्रकट हो जाते हैं। यह एक सुनियोजित साजिश है ? सूत्रों की माने तो यदि जिला स्तरीय अफसरों के द्वारा गोपनीय तरीके से सत्यापन कराया जाए तो विभाग में चल रहे बड़े खेल का खुलासा होने में वक्त नहीं लगेगा।
ग्रामीणों ने क्या कहा
हीरेन्द्र उरमलिया ने कहा कि गौवंश के लिए जितना पैसा दिया जा रहा है उसके अनुसार कोई व्यवस्थाएं नहीं की जा रहीं। उद्घाटन के दौरान सैकड़ों की संख्या थी आज गौवंश न के बराबर रह गया है।
शिवराजपुर निवासी प्रदीप मिश्रा ने कहा कि शिवराजपुर की गौशाला में कोई व्यवस्था नहीं है। एक तरफ गौवंश कम हो गए तो दूसरी ओर उन्हें खाने के लिए केवल पैरा दिया जा रहा है। जबकि शासन उनके चारा-भूसा का पैसा देता है।
अनूप पाण्डेय ने कहा कि गौशाला बनने के बाद भी कोई व्यवस्था नहीं है। उन्हें पीने के लिए पानी तक नहीं मिल पता। पूरा गौवंश ख्ुाले में ही घूमता रहता है। शासन को इनके रखरखाव पर ध्यान देना चाहिए।