जिन केंद्रों के ताले खुले उनमें बच्चों की उपस्थिति लगभग शून्य
BHOPAL: गांव गांव में आंगनबाड़ी केंद्र खोल फर सरकार बच्चों को पोषण शक्ति देने का काम कर रही है, लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग कागजी कार्रवाई ही कर रहा है। आलम यह है कि केन्द्र खुलते नहीं और बच्चों को पोषण मिल भी रहा है । The Khabrilal की टीम ने नागौद परियोजना के लगभग आधा दर्जन केंद्रों का जायजा लिया। इस दौरान अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्रों पर ताला लगा मिला और जो केंद्र खुले मिले उनमें बच्चों की उपस्थिति लगभग शून्य ही रही। किसी केंद्र में दो तो किसी में तीन बच्चे मिले। इस मामले में आधिकारिक तौर पर जानकारी के लिए जब परियोजना अधिकारी इंद्रभूषण तिवारी से संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। यहां कागजी तौर पर हर योजना का अमल हो रहा है। चाहे बच्चो को मध्यान्ह भोजन दिया जाना हो या फिर आंगनबाड़ी केन्द्र स्तर पर संचालित अन्य प्रकार की योजनाएं सभी का हाल बदहाल है। उल्लेखनीय है कि नागौद क्षेत्र में लगभग हर आंगनबाड़ी केन्द्र का यही हाल है। जीरों से तीन वर्ष के बच्चों, गर्भवती महिलाओं को मिलने वाले पोषण में भी मनमानी की जा रही है। इसके अलावा जिले में तीन वर्ष से छह वर्ष के बच्चों की हाजिरी में भी खेल चल रहा है। एक तरफ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका केन्द्र ही नहीं पहुंच रहीं तो दूसरी ओर कागजों में सबकुछ वितरित हो रहा है? इन हालातों से जिले स्तर के अधिकारी भी वाकिफ हैं, लेकिन उनके द्वारा सुधार का कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है।

ये केंद्र बंद थे
नागौद परियोजना का आंगनबाड़ी केंद्र नौबस्ता कुडिय़ां, दुर्गापुर, बरहा भाजीखेरा केंद्र बंद रहा। इसी तरह से भाजीखेरा के भी हाल रहे। पिपरी केंद्र में कार्यकर्ता और बच्चे नहीं थे केवल सहायिका रहीं। कोलान पिपरी में सहायिका और बच्चे नहीं थे। ररिया में केवल सहायिका रहीं। मोरा में कार्यकर्ता अनुपस्थित रहीं तीन बच्चों के साथ सहायिका केंद्र में थीं
