
वाराणसी : एक तरफ जहां सूबे के मुखिया सीएम योगी आदित्यनाथ भ्रस्ट अधिकारियों पर नकेल कस उनके खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं तो वही दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में अधिकारी बेलगाम हो गए हैं। जिसकी बानगी राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान करौदी में देखने को मिल रही है जहां का प्रिंसिपल अरुण यादव भ्रष्टाचार की सारी हदों को पार कर मृतक कर्मचारी के परिजनों को भी सताने लगा है, और मृतक आश्रित में पिता के स्थान पर बेटे को ज्वाइन कराने के नाम पर पैसे की मांग की जा रही है, हालांकि मामला बढ़ता देख संस्थान के प्रिंसिपल अरुण यादव ने तत्काल जॉइन लेटर तो थमा दिया लेकिन अभी भी उसकी कारस्तानियां देखने को मिल रही है जिसे लेकर कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है।
हम बात कर रहे हैं राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान करौदी के भ्रस्ट प्रिंसिपल अरुण यादव की जो अपने कारनामों को लेकर उन्नाव से लेकर वाराणसी तक सुर्खियों में बना रहता है,इसकी कारस्तानी की शुरुआत सपा शासनकाल में जनपद उन्नाव से शुरू हुई जो आज तक योगी सरकार में भी खत्म होने का नाम नहीं ले रही, भ्रष्ट अधिकारी द्वारा जहां जनपद उन्नाव में अपने पद का दुरुपयोग करते हुए करोड़ों के टूल्स में हेराफेरी करने का आरोप लगा और जांच में दोषी पाया गया तो वहीं अब जनपद वाराणसी में भी इसके द्वारा संस्थान को भ्रष्टाचार का एक अड्डा बना दिया गया, जहां इसके द्वारा और इसके गुर्गे लिपिक पंकज सिंह द्वारा कर्मचारियों के शोषण के साथ ही धन उगाही के तमाम मामले अब तक सामने आ चुके हैं, हद तो तब हो गई जब गार्ड के पद पर तैनात एक कर्मचारी के निधन के बाद इसके द्वारा परिजनों को सताने की खबर सामने आई, जिसकी शिकायत परिजन लेकर मुख्यमंत्री दरबार पहुंच गए हालांकि उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री से नहीं हुई और वहां उपस्थित एक अधिकारी इस पूरे प्रकरण का संज्ञान लेते हैं जिसके बाद आनन-फानन में मृतक के परिजनों को जॉइन लेटर तो थमा दिया जाता है लेकिन अभी भी इसके द्वारा उन्हें परेशान करने का सिलसिला लगातार जारी है। इतना ही नहीं इसके ऊपर दोष सिद्ध होने के बाद भी इसके रसूख व ऊंची पहुंच के चलते आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी, जिसे लेकर और संस्था के कर्मचारी दबी आवाज यह करते नहीं थक रहे कि इसमें किसी बड़े अधिकारी के भी सांठगांठ है और उन्ही के शह पर भ्रष्टाचार की सारी हदों को पार कर रहा है। अब देखने वाली बात होगी इस भ्रष्ट अधिकारी पर सूबे के मुखिया सीएम योगी आदित्यनाथ की नजर कब पड़ती है, इसके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी।