
रिपोर्ट : अवनीश उपाध्याय
आजमगढ़ : गोवंश वध पर रोक के बाद जहां लोग इसे खुद के लिए समस्या मानते हुए छुट्टा छोड़ रहे हैं वहीं इस जिले की एक महिला ने गाय के गोबर और कबाड़ से दीपक और प्रतिमा तैयार कर इसे रोजगार का माध्यम बनाने की पहल कर दी है। गाय के गोबर से तैयार ये उत्पाद न केवल प्रदूषण की समस्या का समाधान करेंगे, बल्कि कूड़ा निस्तारण की समस्या भी दूर हो जाएगी। यही नही यह रोजगार का माध्यम बनने के साथ ही मिट्टी की कमी के कारण विलुप्त हो रही पाटरी का विकल्प भी बनेगा।
शहर के सिधारी की रहने वाली संतोष सिंह का यह प्रयास आज चर्चा का विषय बना है। वहीं दीपावली पर उनके उत्पाद की मांग भी खूब है। संतोष ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर घरों से निकलने वाले कबाड़ से लक्ष्मी, गणेश, शिव आदि देवताओं की प्रतिमा को तैयार कराया है। इसके अलावा घर के कूड़े, गाय के गोबर, लोहबान, नीम की पत्ती आदि से दिया व धूप बनाया है। संतोष का दावा है कि मिट्टी के दिये को सुरक्षित रखना एक बड़ी चुनौती होती है। उनके टूटने का खतरा हमेंशा बना रहता है लेकिन गाय के गोबर से बने दिये बरसों तक सुरक्षित रखे जा सकते है। उनके द्वारा तैयार धूप से पूजा तो होगी ही साथ ही इसके औषधीय गुण के कारण घर के मच्छर भी भाग जाएगे। आगे चलकर उन्होंने मच्छर अगरबत्ती भी इसी गाय के गोबर से तैयार करने का फैसला किया है।
संतोष सिंह का कहना है कि पाटरी के उत्पाद तैयार करने के लिए मिट्टी अनिवार्य है। मिट्टी खनन की एक लिमिट है। उसके बाद बर्तन बनाने योग्य मिट्टी नहीं मिल पाती है। जिससे कुम्हारों का कारोबार चौपट हो रहा है लेकिन कबाड़ हर घर से प्रतिदिन निकलता है। हर दूसरे घर में पशु है जिनका गोबर आसानी से मिल सकता है। अगर हम उनका उपयोग दैनिक उपयोेग की समाग्रियों के निर्माण में करते हैं तो कूड़ा निस्तारण की समस्या का समाधान होगा। घर का वातावरण शुद्ध होगा। साथ ही रोजगार मिलेगा। इसलिए उन्होंने इससे महिलाओं को जोड़ने का फैसला किया है। महिलाएं इस तरह के उत्पाद तैयार कर अपनी आमदनी बढ़ा सकती है। उनकी पुरूष के प्रति निर्भरता भी कम होगी। इसके अलावा गाय के गोबर की ब्रिकी कर पशुपालक भी अच्छी आमदनी कर सकंेगे। आज वह बीस रूपये किलो गोबर खरीद रही है। अगर यह काम बड़े पैमाने पर होगा तो प्रतिदिन सैकड़ों कीलो या कुंतल गोबर की जरूरत होगी। इसका एक फायदा और होगा कि लोग अपने गोवंश को दूध देना बंद करने अथवा बछड़े को आवारा नहीं छोड़ेगे। इससे किसानों की भी समस्या का समाधान होगा।