KHABRI LAL : खतरे में नौजवानों का भविष्य,अधिकारीयों का बूट पालिस कर छात्रों ने की भविष्य बचाने की मांग

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रिपोर्ट : अवनीश उपाध्याय

आजमगढ़ : अजीत सिंह की हत्या के बाद ध्रुव उर्फ कुंटू सिंह के खिलाफ कार्रवाई जारी है। कूंटू सिंह से संबंधित दो शिक्षण संस्थानों को ध्वस्त किये जाने की नोटिस चस्पा किये जाने की जानकारी के बाद बुधवार को कालेज के छात्रों ने जिलाधिकारी कार्यालय पर अनोखे तरिके से प्रदर्शन किया। विद्यालय के छात्रों ने अधिकारियों के बूट पालिस कर मेहनताना की मांग की। छात्रों ने प्रशासन से मांग किया कि उनके भविष्य को देखते हुए दोनों विद्यालयोें के ध्वस्तीकरण से रोका जाय।

बतातें चलें कि लखनऊ में हुई ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि अजीत सिंह की हत्या के बाद प्रशासन के निशाने पर आये ध्रुव सिंह उर्फ कुंटू सिंह के दो और शिक्षण संस्थाओं सगड़ी तहसील के जीयनपुर के देऊपुर कमालपुर स्थित गिरजा शंकर स्मृति महाविद्यालय और रुद्र प्रताप पालीटेक्निक कालेज को प्रशासन ने ध्वस्तिकरण के लिए दोनों संस्थाओं पर नोटिस चस्पा कर प्रशासन ने एक सप्ताह में जवाब मांगा था। नोटिस में पूछा गया था कि इसका नक्शा जिला पंचायत से पास हुआ है या नहीं व निर्माण कब हुआ है। दोनों शिक्षण संस्थानों पर नोटिस जारी होने के बाद बुधवार को विद्यालय के सैकड़ो छात्रों प्रदर्शन करते हुए जिलाधिकारी कार्यालय पर पहुंचे। इस दौरान छात्रों ने हाथ में बूट पालिस और ब्रस लिये हुए थे। छात्रों का कहना है कि विद्यालय किसी का भी हो वे उसमें शिक्षा ग्रहण करते थे। उन्होने विद्यालय में फीस दिया है। लेकिन प्रशासन अगर विद्यालय को ध्वस्त करता है तो उनका भविष्य खराब होगा जो कही से सही नहीं है। छात्रों ने जिला प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर हमारी मांग पूरी नहीं हुई तो आने वाले समय में हम सब्जी का ठेला के साथ ही अन्य तरीकों से विरोध कर अपनी मांग को रखेंगे। वही अधिवक्ता आनंद सिंह ने प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए इसे राजनीतिक रंजीश करार दिया। उनका कहना है कि गैंगेस्टर एक्ट के तहत जिलाधिकारी को स्कूल की सम्पत्ति को जप्त करने का अधिकार है, उनके द्वारा दिये गये नोटिस का जबाव दे दिया गया है। गैंगस्टर कोर्ट में इसकी सुनवाई चल रही है। वही दोनों शिक्षण संस्थानों को नक्शा आदि पास नहीं कराने के लिए जिला पंचायत से ध्वस्तीकरण की नोटिस जारी की गयी है। जबकि शासन के द्वारा जारी वर्ष 2018 के शासनादेश में किसी भी शिक्षण संस्थान को ध्वस्त करने का कहीं उल्लेख नहीं है।