सपा-बसपा के गढ़ में प्रियंका ने खेला एक और बड़ा दाव, बढ़ी बेचैनी

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उबारपुर के दलितों का हितैशी बनकर उभरे थे पंकज, अब मिली बड़ी जिम्मेदारी

रिपोर्ट : आशीष तिवारी

आजमगढ़ : यूपी में कांग्रेस पार्टी लगभग तीन दशक से सत्ता से बाहर चल रही है। लेकिन अब कांग्रेस के ना सिर्फ दोबारा जीवित होने के आसार दिख रहे हैं बल्कि 2022 की विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जनता के लिए एक बड़ा विकल्प बनकर उभरने जा रही है। कारण कि जब से कांग्रेस ने यूपी की कमान प्रियंका गांधी के हाथों में सौंपी है तबसे लगातार एक के बाद एक बड़े फैसले प्रियंका लेकर न सिर्फ सत्ता में बैठी योगी सरकार को पीछे हटने पर मजबूर की बल्कि सपा और बसपा को पीछे छोड़ विपक्ष की भूमिका में जनता के साथ खड़ी दिखी। प्रियंका गांधी के इस लड़ाई में आज़मगढ़ का एक युवा नेता शामिल रहा जिसे अब हाई कमान ने एक बड़ी जिम्मेदारी देकर बीजेपी के वोट बैंक में सेंध मारी का मास्टर प्लान बनाया है। माना जा रहा है कि कांग्रेस का यह प्लान न बीजेपी के वेस वोट सोनकर बिरादरी को तोड़ेगा बल्कि आज़मगढ़ में भी कांग्रेस की खोई हुई जनाधार वापस लाने में अहम साबित होगा।

दरसल कांग्रेस पार्टी यूपी में अपनी खोई हुई लय पाने में जुटी हुई है। पार्टी को मजबूत करने में युवा नेता पंकज मोहन सोनकर का विशेष योगदान रहा है। यही कारण है कि पार्टी ने उन्हें महासचिव के पद से नवाजा है।राजनितिक विशेषज्ञों की राय के मुताबिक सपा और बसपा दोनों पार्टियां अपने ही गढ़ में सुस्त पड़ी हुई हैं। प्रियंका गांधी ने जब से प्रदेश की जिम्मेदारी संभाली है। तब से पार्टी की सक्रियता बढ़ गयी है। पार्टी आला कमान प्रदेश में किसी भी मौके पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने से नहीं चूक रही। चाहे वह भाजपा जिलाध्यक्ष के बेटों द्वारा दलितों के उत्पीड़न का मामला हो, या फिर नागरिकता संशोधन के विरोध करने वालों पर बिलरियागंज में पुलिस की बर्बरता सहित अन्य तरह के मुद्दे हों। पार्टी को आजमगढ़ जिले में सक्रिय करने का श्रेय कांग्रेस के टिकट पर लालगंज लोकसभा चुनाव लड़ चुके पंकज मोहन सोनकर को भी जाता है। पार्टी में पंकज जिस तरह से मेहनत कर रहे थे। उनके इसी मेहनत को देखते हुए पार्टी ने उनपर भरोसा जताते हुए मंगलवार को पार्टी का प्रदेश महासचिव बनाया गया है।

पंकज मोहन सोनकर राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं। राहुल गांधी ने ही पंकज को 2019 के लोकसभा चुनाव में टिकट देकर मैदान में उतारा था। यह अलग बात है कि पंकज लोकसभा चुनाव में कुछ खास करिश्मा नही दिखा पाये। लेकिन चुनाव हारने के बाद से लगातर जनता के बीच में अपनी पकड़ बनाते गए। जिसे देखते हुए पंचायत चुनाव के ठीक पहले पंकज के जरिए कांग्रेस प्रदेश के सोनकर बिरादरी के लोगों में सेंध मारकर अपने पार्टी से जोड़ने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस के इस दाव से जिले के अन्य दलों में बेचैनी बढ़ गयी है। सोनकर भाजपा के पक्के सपोर्टर माने जाते हैं। जो भी टूटेंगे उससे भाजपा को नुकसान होगा। राजनितिक धुरंधरों से लैश कांग्रेस और भाजपा जहां अपने दाव खेलते हुए शतरंज के मोहरे बिछा रही है। वहीं समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के नेता अपने ही गढ़ में सुस्त दिखाई दे रहे है। इन दोनों दलों को यह गुमान है की हमारे वोटर कहीं नहीं जाने वाले हैं। दोनों दल के इन नेताओं पर कही जरुरत से ज्यादा आत्मविश्वास भारी न पड़ जाय।