
रिपोर्ट : अवनीश उपाध्याय
आजमगढ़ जिले के तहबरपुर ब्लाक के चंदाभारी गांव में बना करोड़ो की लागत से बना राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय दशकों से शो पीस बना हुआ है। यहां वर्ष भर में एक बार डाक्टर आ जाय तो बड़ी बता है, लेकिन किसी ने यहां पर तैनात चिकित्सक का चेहरा तक नहीं देखा है। गांव वालों की मानें तो चिकित्सालय न खुलने से यहां के आस-पास के लोगों को प्राइवेट अस्पतालों में जाना पड़ता है।
शोपीस अस्पताल
जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित तहबरपुर ब्लाक के चंदाभारी गांव में करीब दस वर्ष पूर्व प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने यहां के ग्रामीणों की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए राजकीय आयुवैदिक चिकित्सालय की नींव रखी। मायावती के शासनकाल में ही अस्पताल का निर्माण कार्य पूरा हुआ। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद चिकित्सालय शुरू हुआ। जिसमें आयुर्वेद चिकित्सक, फार्मासिस्ट, वार्ड ब्वाय व स्वीपर सहित कुल चार पद सृजित हुए। डाक्टर बैठने भी लगे थे। मरीज आने भी लगे थे। लेकिन उसके कुछ ही महिनों बाद डाक्टरों ने चिकित्सालय आना बंद किया। तो फिर वर्ष भर में एक बार दिखाई पड़ जाय तो यह ग्रामीणों के लिए आश्चर्य की बात है। ग्रामीणों की मानें तो चिकित्सालय कई वर्षो बंद पड़ा है। कभी-कभी चिकित्सालय का चपरासी आता है लेकिन डाक्टर तो कभी आते ही नहीं और न ही किसी ग्रामीण ने चिकित्सक चेहरा ही देखा है।
वही जिलाधिकारी का कहना है इस सम्बन्ध में उनको जानकारी नहीं है। अब मामला उनके संज्ञान में आया है। इसके चिकित्सालय के बंद होने के कारणों के बारे में जानकारी हासिल कर ही कुछ बताया जा सकता है।