
रिपोर्ट : अवनीश उपाध्याय
आजमगढ़ : अभी विधानसभा चुनाव भले ही दूर हो लेकिन जिले की सियासत एक बार फिर गरम होती दिख रही है। कांग्रेस ने सपा मुखिया अखिलेश यादव का उन्हीं के गढ़ में लापता होने का पोस्टर लगवाकर अपना इरादा जाहिर कर दिया है कि वह यहां बीजेपी से अधिक सपा को अपना प्रतिद्वंदी मानती है। कारण कि यह पोस्टरवार ऐसे समय पर हुआ है जब सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई कार्रवाई को लेकर योगी सरकार चौतरफा घिरी हुई है लेकिन कांग्रेस ने सरकार को घेरने के बजाय सीधे सांसद अखिलेश यादव को निशाना बनाया है। अब खुद कांग्रेस महासचिव प्रिंयका गांधी 12 फरवरी को यहां पहुंच रही है और वे सीधे बिलरियागंज जाकर आंदोलनकारियों से मुलाकात करेंगी। इससे जिले की राजनीति में उबाल आना तय है।
बता दें कि बिलरियागंज नगर पंचायत के मौलाना जौहर अली पार्क में हाल ही में महिलाओं और बच्चों को आगे कर सीएए, एनआरसी के विरोध के नाम पर हिंसा भड़काने की कोशिश हुई थी। खुफिया रिपोर्ट जिसके आधार पर पुलिस ने कार्रवाई की है उनकी माने तो जिले को हिंदू मुस्लिम दंगे की आग में झोकने की साजिश की गयी थी। इस मामले में पुलिस ने उलेमा कौंशिल के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना ताहिर मदनी सहित 35 नामजद और 100 से अधिक अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर ताहिर मदनी सहित 19 लोगों को जेल भेज दिया है जबकि उलेमा कौंसिल के युवा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष नूरूल होदा सहित तीन पर 25-25 हजार का ईनाम घोषित किया है।
पुलिस की कार्रवाई से पूरा विपक्ष नाराज है और लगातार सरकार और प्रशासन पर सवाल उठा रहा है लेकिन आजमगढ़ सांसद अखिलेश यादव अब तक न तो जिले में पहुंचे है और ना ही इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्वीट के जरिये इस दमन की कार्रवाई जरूर बतायी है। घटना के बाद से ही अखिलेश यादव कांग्रेस के निशाने पर है। कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ शहर में अखिलेश के लापता होने का पोस्टर लगवाने के साथ ही उन्हें हेलीकाप्टर और ट्वीट वाला नेता भी बता चुका है।
अब 12 फरवरी को यहां कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी आ रही है वे बिलरियागंज जाकर पुलिस बर्बरता के शिकार हुए लोगों से मुलाकात करेंगी। इससे जिले की सियासत गरम होनी तय है। कारण कि सपा, बसपा और कांग्रेस लगातार खुद को मुसलमानों का सबसे बड़ा हितैषी बताने का प्रयास कर रही है। विपक्ष एनआरसी पर एकजुट होकर लड़ने के बजाय यहां साफ तौर पर बिखरा दिख रहा है और एक दूसरे पर ही निशाना साध रहा है। ऐसे में अखिलेश की आजमगढ़ से दूरी और प्रियंका का वर्षो बाद आगमन ने लोगों की उत्सुकता बढ़ा दी है।