
डीएम ने माना पहले से तैयार की गयी थी पूरी स्क्रिप्ट, महिलाओं को आगे कर हुआ खेल
अफगानी नागरिकों का भी सुराग लगाने में नाकाम रह गया था खुफिया विभाग
आजमगढ़ जैसे अति संवेदनशील जिले में एक बार पुलिस और खुफिया तंत्र फेल साबित हुआ। जिस मैदान से सांप्रदायिक दंगा फैलाने की साजिश की गयी वहां एक दो नहीं बल्कि तीन बार एनआसी के खिलाफ प्रदर्शन के नाम पर साजिश कर्ताओं के नेतृत्व में महिलाएं और बच्चे एकत्र हुए। फिर भी न पुलिस उनकी तैयारियों का अंदाजा लगा सकी और ना ही एलआईयू। यही नहीं इन्हें भनक भी नहीं लग पाई और अली जौहर पार्क ईंट के टुकड़ों से पट गया। प्रशासन, पुलिस और खुफिया तंत्र को तब साजिश का पता लगा जब आधा दर्जन पुलिस कर्मी इनके हाथ पिटकर अस्पताल पहुंच गए और पूरे जिले में हिंसा का खतरा मड़राने लगा। वैसे यह पहला मामला नहीं है जब पुलिस और खुफिया तंत्र फेल हुआ है। इसके पूर्व अफगानी नागरिकों के पासपोर्ट मामले में भी पुलिस और खुफिया तंत्र पूरी तरह फेल साबित हुआ था।
बता दें कि उलेमा कौंसिल के राष्ट्रीय महासचिव ताहिर मदनी के नेतृत्व में सबसे पहले 25 जनवरी को सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ मौलाना अली जौहर पार्क में महिलाओं और बच्चों को आगे कर प्रदर्शन का प्रयास किया गया। फिर 26 जनवरी को जब पूरा देश गणतंत्र दिवस मना रहा था महिलाओं और बच्चों को यहां एकत्र किया गया लेकिन पुलिस, जिला प्रशासन अथवा एलआईयू ने इसे गंभीरता ने नहीं लिया। बस अनुमति न होने तथा धारा-144 का हवाला देकर लोगों को हटा दिया लेकिन पुलिस और खुफिया तंत्र इस बात का अंदाजा नहीं लगा सका कि यह भी ईंट और पत्थर बटोरने के लिए साजिश के तहत बुलाई गयी है।
यानि इस उपद्रव की साजिश दस दिन पहले से ही रची जा रही थी। बस तैयारी के लिए शांति का प्रदर्शन किया जा रहा था। अगर खुफिया तंत्र उस समय इनके मंसूबे को समझ जाता और प्रशासन तत्काल कार्रवाई करता तो बुधवार को जो हुआ वह नहीं होता। वैसे इस तरह के उपद्रव के बाद आमतौर पर पुलिस अपनी नाकामी छिपानेे के लिए दूसरों पर ठिकरा फोड़ती है लेकिन यह पहला अवसर है जब पुलिस ने स्वीकार किया कि यह साजिश कई दिन पूर्व रची गयी थी। और साजिशकर्ता सीएए, एनआरसी और एनपीआर की आड़ में महिलाओें और बच्चों को आगे कर जिले को हिंदू मुस्लिम दंगे की आग में झोंकने की साजिश रचे थे लेकिन पुलिस और खुफिया तंत्र की यह लापरवाही कभी भी 50 लाख आबादी को बड़े संकट में डाल सकती है।
कारण कि यह जिला यूपी का सबसेे अधिक संवेदनशील जिला माना जाता है। अब भी आधा दर्जन आतंकी यहां मोस्टवांटेड है। तमाम कोशिशों के बाद उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। सिमी की सर्वाधिक सक्रियता इसी जिले में है तो हाल ही में यह भी साफ हो गया है। कि विदेशी नागरिकों को यहां न केवल संरक्षण दिया जा रहा है बल्कि उन्हें अवैध ढंग से नागरिकता भी दिलाई जा रही है। फूलपुर कोतवाली क्षेत्र के चमराडिह गांव में दो अफगानी नागरिकों की गिरफ्तारी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है जिनका पासपोर्ट स्थानीय पते पर बनवाया गया। पुलिस अब तक इस खेल के मास्टरमाइंड तक नहीं पहुंच सकी