
REPORTED BY : ABHISHEK GUPTA
EDITED BY : PRINCE YADAV
आजमगढ़ : ओमप्रकाश राजभर को वाई श्रेणी सुरक्षा मिलने के बाद दोनों दलों में आमने सामने की लड़ाई शुरू हो गयी है। ओमप्रकाश राजभर द्वारा विधानसभा चुनाव में सपा की जीत के लिए सुभासपा को जिम्मेदार बताने के लिए अब सपा प्रवक्ता अशोक यादव ने कुछ राजभर बाहुल्य बूथों के आंकड़े प्रस्तुत कर हमला बोला है। उन्होंने दावा किया कि ओमप्रकाश राजभर अपने पुत्र का एमएलसी बनाना चाहते थे लेकिन जब सपा ने एमएलसी नहीं बनाया तो उन्होंने आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में सपा के साथ दगाबाजी की तथा बीजेपी के लिए प्रचार का काम किया। जिन बूथों पर ओमप्रकाश ने प्रचार किया वहां बीजेपी को विधानसभा के मुकाबले दो गुना वोट मिला।
मीडिया से बात करते हुए सपा प्रवक्ता अशोक यादव ने कहा कि ओमप्रकाश राजभर और उनके पुत्र अरविंद राजभर खुद को स्वजातीय मतों का ठेकेदार समझते हैं। पिता-पुत्र राजभर समाज की फोटो लगाकर कारोबार कर रहे हैं। आजमगढ़ संसदीय सीट पर हाल में हुए लोकसभा उपचुुनाव के दौरान ओमप्रकाश राजभर मेरी अपनी ग्रामसभा जोे राजभर बाहुल्य है वहां प्रचार के लिए आए थे। यहां बूथ संख्या 339 में टोटल राजभर समाज है लेकिन यहां गठबंधन को हार मिली। विधानसभा चुनाव 2022 में यहां ओप्रकाश राजभर और उनके पुत्र प्रचार के लिए नहीं आए थे तब यहां भाजपा 267 व सपा 224 वोट पाई थी। लोकसभा उपचुनाव में जब पिता-पुत्र दोनों ने इस ग्राम सभा में मीटिंग कि तो बीजेपी को 353 और सपा को मात्र 143 मत मिला। जबकि मीटिंग के बाद खुद ओमप्रकाश ने मेरे घर आकर कहा था कि चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। यहां हम एक तरफा जीत रहे है। आखिर इस बारे में ओमप्रकाश राजभर का क्या कहना है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में करारी हार झेलने वाले अपने पुत्र को ओमप्रकाश राजभर एमएलसी बनाना चाहते थे लेकिन जब उनका पुत्र एमएलसी नहीं बन पाया तो वे भाजपा की गोद में बैठ गए और अंदरखाने उपचुनाव में बीजेपी का प्रचार किया। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज तक ओमप्रकाश के खिलाफ एक शब्द नहीं बोले लेकिन वे अपने चिर परिचित सड़क छाप भाषा का इस्तेमाल कर लगातार हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के ऊपर हमला कर रहे हैं। ओमप्रकाश की भाषा पूरी तरह अस्वीकार्य है।
क्या कहते है राजनितिक विषेशज्ञ
वहीं इस पूरे मामले में पत्रकार अवनीश उपाध्याय ( Avneesh Upadhyay ) ने बताया कि राजनीति में कोई भी किसी का सगा नहीं होता है चाहे दौर समाजवादी पार्टी का रहा हो या भारतीय जनता पार्टी का हर उस दौर में दल बदल कर राजनीति करने वालों की कमी कभी नहीं रही है,चाहे वह किसी की भी सरकार रही हो, जितिन प्रसाद से लेकर लालजी वर्मा या फिर ओमप्रकाश राजभर कोई भी नेता दल तभी बदलता है जब उसे सत्ता में रहते हुए पूरे धनबल के साथ राजनीति करना हो इसीलिए ओमप्रकाश राजभर ऐसा कर रहे है।