KHABRI LAL : लॉक डाउन ! ग्रामीणों में कोरोना का खौफ,गांव में खींची लक्ष्मण रेखा

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रिपोर्ट : ज्ञानेंद्र चतुर्वेदी

आजमगढ़ : शहर हो या गांव कोरोना का खौफ लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है। पुलिस जहां सड़कों पर बैरियर लगा कोरोना के प्रभाव को रोकने का प्रयास कर रही है तो अब ग्रामीणों ने भी गांव में लक्ष्मण रेखा खींचना शुरू कर दिया है। जहानागंज ब्लाक के सेवटा गांव में पिछले तीन दिनों से रास्ता बंद कर बाहरी लोगों का गांव में प्रवेश पूर्णतया वर्जित कर दिया गया है। अब आसपास के गांव के लोग भी यही तरकीब आजमाने की तैयारी कर रहे हैं। कारण कि पिछले कई दिनों से दूसरे राज्यों से आने वालो की संख्या लगातार बढ़ रही है और ग्रामीणों को डर सता रहा है कि कहीं यह उनके लिए खतरनाक न साबित हो।

बता दें कि कोरोना वायरस के प्रभाव को रोकने के लिए सरकार ने 14 अप्रैल तक लाक डाउन किया है। संक्रमण के डर से 90 प्रतिशत लोग लाक डाउन का पालन कर रहे है लेकिन 10 प्रतिशत लोग खतरे को दरकिनार कर घूम रहे है। वैसे प्रशासन ऐसे लोगों की संख्या पांच प्रतिशत मान रहा है। अधिकारी भी ऐसे लोगों को रोकने में नाकाम रहे हैं। यहां तक कि पुलिस की लाठी भी इन्हें घरों में कैद नहीं कर पा रही है।
वहीं दूसरी तरफ पिछले तीन दिन में 2000 से अधिक लोग दिल्ली मुंबई, मेरठ, हरियाणा, पंजाब से चलकर आजमगढ़ पहुंचे है। प्रशासन ऐसे लोगों को शेल्टर हाउस में रखने की कोशिश कर रहा है इसके बाद भी तमाम लोग बिना प्रशासन को सूचित किए सीधे अपने घर पहुंच रहे है। सोमवार को बसों का आवागमन रोक दिया गया तो लोग पैदल ही दूसरे राज्यों से यहां पहुंचने लगे है।
ऐसे में ग्रामीणों को संक्रमण का खतरा सताने लगा है। लोग इनसे दूरी तो बना ही रहे है साथ ही अब यह कोशिश शुरू हो गयी है कि दूसरे राज्य अथवा पड़ोसी गांव से आये लोगों को भी गांव में न घुसने दिया जाय। ताकि संक्रमण की संभावना को पूरी तरह समाप्त किया जा सके। जहानागंज ब्लाक के सेवटा गांव के लोगों ने इसकी शुरूआत भी कर दी है। गांव के अखिल पांडेय के नेतृत्व में ग्रामीणों ने गांव की सड़क पर बांस, बबूल की डाल आदि लगाकर रास्ता पूरी तरह रोक दिया है। साथ दीवारों पर बोर्ड लगा दिया है कि कोराना के संक्रमण को देखते हुए बाहरी लोगो का गांव में प्रवेश और गांव के लोगों के बाहर जाने पर पूरी तरह रोक है। लाक डाउन के दौरान कोई न तो गांव में आएगा और ना ही गांव से बाहर जाएगा। ग्रामीणों का यह प्रयास चर्चा का विषय बना है। अब आसपास के ग्रामीण भी यही रणनीति अपनाने पर विचार कर रहे है।