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रिपोर्ट : अवनीश उपाध्याय
आजमगढ़ : तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है…. कुछ ऐसा ही हाल है आजमगढ़ जिले के पूर्व माध्यमिक विद्यालय सरायमीर का है। जहां प्रधानाध्यापिका के मनमाने रवैये से छात्र और शिक्षक त्रस्त्र है। यही नहीं प्रधानाध्यापिका को विद्यालय में पढ़ाते हुए करीब दस वर्ष हो चुके है लेकिन उन्हे आज तक प्रतिदिन होने वाली प्रार्थना भी याद नहीं है।
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सरायमीर जहां स्कूल में कुल छात्रों की संख्या 370 है। मौके पर केवल 167 बच्चें ही उपस्थित थे। लेकिन छात्रोें के लिए बनने वाले मध्यान भोजन 250 छात्रों का बन रहा है। यहीं एमडीएम रजिस्टर पर प्रधानाध्यापिका द्वारा नामांकित छात्रों की संख्या का कालम भी अधूरा ही मिला। जिसे माह की एक तारिख को भर दिया जाना चाहिए। मध्यान भोजन छात्रों को मानक के अनुरूप नहीं दिया जाता है। छात्रों की मानें तो मेन्यू के हिसाब से उनको भोजन नहीं मिलता। यही नहीं विद्यालय की प्रधानाध्यापिका छात्रों से ही स्कूल में झाडू लगवाने के साथ विद्यालय का अन्य कार्य करवाती है। सबसे हैरत की बत तो यह है कि विद्यालय में छात्रों की उपस्थिति पंजीका के रजिस्टर पर उपस्थित और अनुपस्थित कोई शिक्षक नहीं बल्कि छात्र ही पूरा करते है।
विद्यालय की प्रधानाध्यापिका पिछले दस वर्षो से इसी विद्यालय पर जमी हुई है। छात्रों को शिक्षा कितना देती है यह तो नही पता लेकिन उनका ज्ञान सुनकर ऐसा लगा कि इस विद्यालय की शिक्षा राम भरोसे ही है। दस वर्ष से छात्रों को प्रार्थना कराती है। कहती है वह और उनका पूरा स्टाफ समय से पहुंचकर प्रार्थना कराता है। लेकिन हालत यह है कि प्रधानाध्यापिका को आज तक प्रार्थना ही नहीं याद है। जब प्रधानचार्य ही ऐसा हो तो शिक्षको से कितनी उम्मीद की जाय। वही मामले में जिम्मेदारों ने जाँच करने की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया अब देखना होगा कि जिम्मेदारों की जाँच कबतक पूरी होगी और क्या कार्यवाई होगी।
विद्यालय की प्रधानाध्यापिका पिछले दस वर्षो से इसी विद्यालय पर जमी हुई है। छात्रों को शिक्षा कितना देती है यह तो नही पता लेकिन उनका ज्ञान सुनकर ऐसा लगा कि इस विद्यालय की शिक्षा राम भरोसे ही है। दस वर्ष से छात्रों को प्रार्थना कराती है। कहती है वह और उनका पूरा स्टाफ समय से पहुंचकर प्रार्थना कराता है। लेकिन हालत यह है कि प्रधानाध्यापिका को आज तक प्रार्थना ही नहीं याद है। जब प्रधानचार्य ही ऐसा हो तो शिक्षको से कितनी उम्मीद की जाय। वही मामले में जिम्मेदारों ने जाँच करने की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया अब देखना होगा कि जिम्मेदारों की जाँच कबतक पूरी होगी और क्या कार्यवाई होगी।