सत्ता का नशा और कर्ज का मलाल ! न जाने क्या है समाजवादियों का हाल

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रिपोर्ट : अवनीश उपाध्याय

आजमगढ़ : बीजेपी ने यूपी की सत्ता भले ही सपा से छीन ली हो लेकिन आजमगढ़ में आज भी सपाइयों का दबदबा कायम है। अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि करीब दो दशक से सपा कार्यालय जिला पंचायत के भवन में है और किराया सिर्फ एक लाख जमा हुआ है। पार्टी पर 5.70 लाख रूपये किराया बाकी है लेकिन सपा के दबदबा के कारण अधिकारी कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे है। बस नोटिस से ही काम चलाया जा रहा है। दबदबा हो भी क्यों न हो जिले की प्रथम नागरिक की कुर्सी पर सपा के जिलाध्यक्ष की बहू काबिज है तो सांसद खुद सपा मुखिया अखिलेश यादव है।

बता दें कि सपा के पास अपना कार्यालय नहीं है। सपा ने करीब दो दशक से जिला पंचायत के गेस्ट हाउस में हाल किराये पर लेकर कार्यालय बनाया है। वर्ष 2012 में सपा ने अपना कार्यालय बनाने का प्रयास किया लेकिन निर्माण अवैध होने के कारण पूरा नहीं हो सका। इस दौरान पार्टी ने जिला पंचायत का किराया जमा नहीं किया। कभी किसी ने किराया वसूली की हिम्मत भी नहीं जुटाई। कारण कि जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर पिछले दो बार से लगातार सपा जिला अध्यक्ष हवलदार यादव की बहू मीरा यादव काबिज है। इस मामले में कोई भी कार्रवाई उन्हीं को करनी थी। अब बहू की सत्ता और ससुर के खिलाफ कार्रवाई कौन करे। इसके पूर्व खुद हवलदार यादव भी पांच साल तक जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज रहे। स्थिति यह रही कि राजस्व का लाखों रूपया बकाया रहा किसी ने ध्यान नहीं दिया। वर्ष 2017 में यूपी में बीजेपी की सरकार बनी और राजस्व वसूली का दबाव बना तो जिलापंचायत ने सपा को नोटिस जारी करने का सिलसिला शुरू किया। काफी दबाव बनाने के बाद पार्टी ने एक लाख रूपया जमा किया। इसके बाद भी 5.70 लाख रूपया बकाया है। चुंकि मामला जिला पंचायत अध्यक्ष की पार्टी से जुड़ा है इसलिए अधिकारी भी कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे है। सिर्फ नोटिस से काम चला रहे है।

अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत एके सिंह का कहना है कि सपा के जिला कार्यालय पर इस वर्ष मार्च तक पांच लाख, 50 हजार, 624 रपये किराया का भुगतान बाकी था, जो वर्तमान में बढ़कर पांच लाख, 70 हजार, 774 रुपये पहुंच गया है। भुगतान के लिए कई बार नोटिस जारी किया गया था लेकिन फिर भी जमा नहीं किया गया। अंतिम नोटिस के बाद 30 अगस्त तक समय लिया गया था फिर भुगतान नहीं किया गया। अब जिलाध्यक्ष मौखिक रूप से एक हफ्ते का समय मांग रहे है जो दिया गया है। अगर सात दिन में भुगतान नहीं होता है तो आरसी जारी की जाएगी।

वही इस मामले में बीजेपी नेता दिनेश लाल यादव निरहुआ का कहना है कि कानून सबके लिए बराबर है चाहे वह कोई पार्टी हो। जिलाधिकारी सक्षम है और हमे भरोसा है कि वे इसकी वसूली कर लेगे।