दास्ताने शहीद ! स्मृति उपवन देख खुदा को भी होगा गर्व,धरती पर जब इस जिलाधिकारी द्वारा शहीदों का होगा सम्मान

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रिपोर्ट : अवनीश उपाध्याय

आजमगढ़ में जिला प्रशासन ने देश की आन, बान और शान के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों के सम्मान में एक नई और बेमिशाल पहल की है। इसके तहत स्वतंत्रता संग्राम से लेकर अब तक देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों के सम्मान में स्मृति उपवन की स्थापना करने का फैसला लिया है । जिला प्रशासन के फैसले से शहीदों के परिजनों में खुशी की लहर है।

शहीद सौदागर सिंह व् उनकी पौत्रवधु

देश की आजादी और सुरक्षा में अपनी जान की कुर्बानी देने वाले शहीदों की याद जितना भी किया जाए वह कम ही है। इसलिए जिला प्रशासन ने एक अनूठी पहल करते हुए 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर अब तक विभिन्न युद्धों या लड़ाईयों में शहीद हुए लोगों के गांवों को चिन्हित किया जा रहा है। इसके लिए जिला प्रशासन ने एसडीएम, तहसीलदार, बीडीओ के माध्यम से सूची बनाये जाने का निर्देश भी दिया है। इसके बाद शहीदों के गांवों में एक अभियान चलाकर पहले पौधरोपण किया जायेगा। इसके बाद शहीद के ग्रामसभा में कम से कम एक एकड़ जमीन में गांव के शहीद के नाम स्मृति उपवन बनाये जायेगा। यही नहीं जिला प्रशासन की योजना है कि शहीद स्मृति उपवन तैयार होने के बाद स्कूल और कालेज के छात्रों को वहां पर भ्रमण कराया जायेगा और उन्हे देश के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले वीर शहीदों के गाथाओं के बारे में विस्तृत रूप से वर्णन किया जायेगा। जिला प्रशासन के इस अनूठी पहल को आमजन के साथ ही शहीद परिवार के लोग भी काफी सराहना कर रहे है। जीयनपुर थाना क्षेत्र के कस्बे में रहने वाले प्रथम वीर चक्र विजेता शहीद सौदागर सिंह के परिजनों में तो खुशी का ठीकाना ही नही है। उनका कहना है कि शहीद सौदागर सिंह 1962 में भारत-चीन की लड़ाई में जाने से पहले घर पर ही थे। जब उनको लड़ाई होने की सूचना मिली तो उन्होने इस बात को अपने घर पर किसी को नहीं बताया। पूछे जाने पर बस यही कहा कि कर्नल साहब का एक कागज उनके पास भूल से चला आया था। इसलिए उनको जल्द ही जाना पड़ रहा है। यही नहीं युद्ध के दौरान सौदागार सिंह को परिजनों ने फोन किया कि मां बेहद बीमार चल रही है वे घर वापस चले आये, तो उन्होने जबाव दिया कि मेरी दो मां है, एक मां की रक्षा मैं सीमा पर कर रहा हूं और दूसरी मां की रक्षा घर पर रह रहे दोनों भाई करें।

कारगिल शहीद रामसमुझ की स्मृति

वही सगड़ी तहसील के अंजान शहीद स्थित नत्थूपुर गांव के रहने वाले कारगील शहीद रामसमुझ यादव के परिजनों ने उनकी याद में एक पार्क और प्रतिमा का निर्माण कराया है और हर वर्ष शहीद रामसमुझ की याद में हर वर्ष शहीद मेले का आयोजन कर उनको श्रद्धाजली दी जाती है। उनके परिजन भी जिला प्रशासन की इस पहल से काफी प्रसन्न है। उनका कहना है कि हमें अपने भाई पर गर्व जिसने देश की रक्षा के लिए अपनी जान नैछावर कर दिया आज हमारी पहचान शहीद भाई और जिला प्रशासन के तरफ से शहीदों की स्मृति उपवन बनाने के फैसला उन तमाम शहीदों के लिए कारगिल दिवस पर सच्ची श्रंद्धांजलि होगी। इस फैलसे के लिए हम शहीद परिवार जिलाप्रशासन को धन्यवाद् करते हैं।
वही इस अनूठी पहल को साकार करने के लिए जिलाधिकारी नागेन्द्र प्रताप सिंह लगातार लगे हुए है। उनका कहना है कि जिले में कूल 26 ऐसे गांव हैं जहां युद्ध में जवानों ने अपनी जान की कुर्बानी दी है,उनको स्मरण करने के लिए उनके बलिदान को नमन करने के लिए और साथ ही युवा पीढ़ी को उनसे प्रेणना लेने के लिए यह फैसला लिया गया है। कुछ गांव में जमीन भी चयनित कर लिया गया है।