KHABRI LAL : पूर्वांचल में ख़त्म होगा बाबू जी का भविष्य,बाहुबली निकलेगा आगे

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रिपोर्ट : अवनीश उपाध्याय

आजमगढ़ : बलराम यादव कभी सपा के एक बड़ा नाम होता था। मुलायम सिंह का बेहद करीबी होने के कारण चाहे मंत्री बनाने का मामला हो या फिर संगठन में अपने लोगों को अध्यक्ष की कुर्सी दिलाने का बलराम यादव विरोधियों पर हमेंशा भारी पड़े। समर्थकों ने भी इन्हें बाबू जी का नाम दिया। आज भी वे सपा के राष्ट्रीय महासचिव है लेकिन समाजवादी कुनबे के झगड़े के दौरान शिवपाल के साथ-साथ खड़ा होना उनपर इतना भारी पड़ेगा शायद ही किसी ने सोचा हो। पहले सरकार में उन्हें मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा था अब संगठन में भी उनकी चलती नहीं दिख रही है। सपा के इतिहास में पहली बार यह माना जा रहा है कि बलराम नहीं बल्कि दुर्गा का खास इस बार जिलाध्यक्ष बनने वाला है। इसकी जोरदार चर्चा है। वैसे पार्टी के लोग अभी इस मुद्दे पर कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है।

बता दें कि वर्ष 2016 में शिवपाल यादव के साथ मिलकर बलराम यादव ने ही कौमी एकता दल का विलय सपा में कराया था। इसके बाद विवाद इतना बढ़ा कि सपा टूट गयी। शिवपाल के साथ ही अखिलेश यादव ने बलराम यादव को भी मंत्री पद से हटा दिया था। यह अलग बात है कि बाद में मुलायम के दबाव में उन्हें मंत्रीमंडल में शामिल कर लिया गया था। बाद में नई सपा में उन्हें राष्ट्रीय महासचिव का पद दिया गया लेकिन पार्टी की लगातार बढ़ती गुटबंदी ने बलराम यादव को अलग-थलग कर दिया है। बाहुबली दुर्गा प्रसाद यादव और बलराम यादव के बीच छत्तीस का आंकड़ा किसी से छिपा नहीं है। पूर्व में दो बार ये दोनों भीतरघात कर एक दूसरे को चुनाव हरा चुके है। दुर्गा के पारिवारिक विवाद की बड़ी वजह भी बलराम यादव को माना जाता है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान इसकी झलक देखने को मिली थी जब दुर्गा के भतीजे के पुत्र रन्नू यादव ब्लाक प्रमुख बने तो विज्ञापन में बलराम थे लेकिन दुर्गा गायब थे। इसके बाद जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में बलराम प्रमोद यादव को टिकट दिलाने में सफल रहे थे यह अलग बात है कि बाद में उनका टिकट कट गया और जिलाध्यक्ष हवलदार यादव की बहू मीरा यादव को दोबारा टिकट मिल गया। बलराम यादव हवलदार यादव के राजनीतिक गुरू हैं लेकिन अब दोनों के बीच 36 का आंकड़ा है। रमाकांत यादव और बलराम भी एक दूसरे के घुर विरोधी रहे है। रमाकांत यादव की वापसी सपा में हो चुकी है और उनका दुर्गा से अच्छा संबंध है। ऐसे में बलराम यादव अब और भी अलग थलग पड़ गए है। वर्तमान में सपा के जिलाध्यक्षों का चयन हो रहा है। सूत्रों की माने तो बलराम यादव दुर्गा को मात देने के लिए उनके भतीजे प्रमोद यादव अथवा छात्र नेता आर्शीवाद यादव को जिलाध्यक्ष बनाना चाहते हैं जबकि विरोधी गुट इनमें से किसी को जिलाध्यक्ष के रूप में नहीं देखना चाहता। पार्टी सूत्रों की माने तो शिवमूरत यादव का जिलाध्यक्ष बनना लगभग तय है जो बलराम के विरोधी गुट के मजबूत सिपहसालार है। वैसे सोशल मीडिया पर छात्र नेता पप्पू यादव सहित कई और लोग जिलाध्यक्ष की दावेदारी ठोक रहे है लेकिन शिवमूरत का पलड़ा सबसे भारी माना जा रहा है। अगर ऐसा होता है तो बलराम यादव के लिए यह बड़ा झटका होगा। कारण कि पहली बार ऐसा होगा जब बलराम संगठन में अपने खास को जगह नहीं दिला पाएंगे।