KHABRI LAL : आखिर महा पंडित राहुल सांस्कृत्यान,अल्लामा शिब्ली नोमानी,कैफी आजमी की सरजमी को किसकी लगी नजर…………………………..

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रिपोर्ट : अवनीश उपाध्याय 

आजमगढ़ : महा पंडित राहुल सांस्कृत्यान,अल्लामा शिब्ली नोमानी,कैफी आजमी की सरजमी को किसी नजर लग गयी है। एक का दाग धुलने की कोशिश की जा रही है तो दूसरा दाग लग जा रहा है। इस बार विदेशियों के पासपोर्ट बनाकर उनको विदेश भेजे जाने का दाग जनपद पर लगा है। इस मामले में दो अफगानी नागरिकों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। जिसके बाद जनपद एक बार फिर सुर्खियों में है। वही सुरक्षा एंजेसियों को आशंका है कि जिले से कई विदेशियों ने अपने पासपोर्ट बनवाये है। खुलासे के बाद सुरक्षा एजेसियों के कान खड़े हो गये है। जिसके बाद आईबी ने भी डेरा डाल दिया है।

बतातें चलें कि वर्ष 1993 में मुंबई बम कांड के बाद पहली बार सुर्खियों में आया आजमगढ़, अब अफगानी नागरिकों को शरण देने और उनके फर्जी दस्तावेज के जरिये पासपोर्ट तैयार कराने के मामले को लेकर सुर्खियों में है। बटला एनकाउंट के बाद से ही इस जिले में खुफिया एजेंसियां सक्रिय है। एटीस की नजर भी इस जिले में लगातार बनी हुई है। स्थानीय खुफिया विभाग भी सक्रिय है, फिर भी यहां एक के बाद एक ऐसे संगीन अपराध हो जा रहे, लेकिन किसी को भनक क्यों नहीं लग रही है। दो साल पहले यहां रोहंगिया मुसलमान देखे गए। अब अफगानियों का पासपोर्ट जिले के पते पर बन गया। जिस व्यक्ति को इनका मददगार बताया जा रहा है वह उन्हें शरण तो दे सकता है, लेकिन सरकारी दस्तावेज बिना प्रशासन और पुलिस की मदद से ये संभव नहीं है। आखिर पुलिस और तहसील में इनके मददगार कौन हैं ? क्या इससे पर्दा उठ पाएगा ? वैसे पुलिस कप्तान ने एक दरोगा और दो आरक्षियों को निलंबित किया है, लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं हुई। सूत्रों के मुताबिक आइबी जिले में पहुंच चुकी है, लेकिन क्या वह सरकारी मददगारों के चेहरे से पर्दा उठा पाएगी ? कारण कि पूर्व में नकली नोट की छपाई सहित कई बड़े मामले सामने आये और हर बार पुलिस से लेकर खुफिया विभाग तक ने बड़े-बड़े दावे किए, लेकिन किसी मामले में सरगना तक न तो पुलिस पहुंच पाई और ना ही खुफिया एजेंसिया ? अभी पिछले महीने जीयनपुर पुलिस ने नकली नोट के कारोबार का खुलासा हुआ और प्रिंटर आदि बरामद किया, लेकिन सरगना तक नहीं पहुंच पाई। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है, कि आजमगढ़ जैसे संवेदनशील जिले जहां आतंकवादी तक वांटेंड हो वहां की पुलिस, खुफिया विभाग और जिला प्रशासन क्या कर रहा था ? कैसे विदेशी नागरिकों के एक के बाद एक पासपोर्ट बन रहे थे और पूरा सिस्टम हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा ? आखिर चूक कहां और कैसे हुई? पूरे मामले की जांच के लिए पुलिस ने सीओ सिटी ईलामारन जी के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया है, जो जांच कर रहे है, देखना अब होगा कि जांच में कौन-कौन लोग दोषी पाये जाते है और उन पर क्या कार्रवाई होती है।