बाहुबली अखंड प्रताप सिंह के एक फैसले ने बदला अतरौलिया का चुनावी समीकरण,पूर्व मंत्री की बढ़ी मुश्किलें

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रिपोर्ट : प्रिंस यादव

आजमगढ़ : आजमगढ़ जिले में एक के बाद एक विधायकों के पार्टी छोड़ने से अभी बसपा सुप्रीमों मायावती उभरी भी नहीं थी कि बाहुबली अखंड प्रताप सिंह के एक फैसले ने उनके मजबूत किले को ही ध्वस्त कर दिया। पूर्व ब्लाक प्रमुख अखंड प्रताप सिंह के इस फैसले से न सिर्फ मायावती को झटका लगा है बल्कि सपा के कद्द्वार नेता व पूर्व म्नत्री बलराम यादव की भी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कारण अतरौलिया विधानसभा से चुनाव लड़ चुके अंखंड प्रताप सिंह ने संजय निषाद की पार्टी का दामन थाम लिया है। और पूर्व प्रमुख की पत्नी पूर्व ब्लाक प्रमुख वंदना सिंह अतरौलिया विधासभा से टिकट मांग रही है।

राजनीतिक रूप से आजमगढ़ जिले की अतरौलिया विधानसभा की सीट काफी मायने रखती है, इस सीट पर समाजवादी पार्टी के कद्दावार नेता व पूर्व मंत्री बलराम यादव का कब्जा है। यह अलग बात है कि वह लगातार इस सीट पर कब्जा करने में नाकाम रहे। लेकिन वर्ष 2012 में उन्होने यह सीट अपने पुत्र डा0 संग्राम सिंह यादव के लिए छोड़ दिया। संग्राम यादव यहां से पहली बार चुनाव लड़े और विजयी हुए। वर्ष 2017 के चुनाव में डा0 संग्राम यादव, भाजपा के कन्हैया निषाद और बसपा से पूर्व ब्लाक प्रमुख अंखड प्रताप सिंह चुनावी मैदान में उतरे। पूर्व प्रमुख के चुनावी मैदान में उतरने से चुनाव दिलचस्प हो गया। चुनाव परिणाम आने पर डा0 संग्राम यादव को 74276 मत मिला भाजपा के कन्हैया निषाद को 71809 तो बसपा से पूर्व प्रमुख अंखड प्रताप सिंह 56536 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे। सर्वण और निषाद बाहुल्य इस सीट पर पूर्व प्रमुख की सीधी नजर थी। पूर्व प्रमुख हत्या के एक मामले में जेल में बंद है, जिसके कारण उनके स्थान पर उनकी पत्नी चुनावी मैदान में ताल ठोंकेंगी। इसी के तहत पूर्व प्रमुख ने अपनी पत्नी पूर्व ब्लाक प्रमुख वंदना सिंह को निषाद पार्टी में शामिल कराये। निषाद पार्टी में शामिल होने के बाद उनकी पत्नी पूर्व प्रमुख वंदना सिंह अब निषाद पार्टी से अतरौलिया विधानसभा से टिकट मांग रही है। समझौते के मुताबिक अगर निषाद पार्टी अतरौलिया विधानसभा सीट से पूर्व प्रमुख अंखड सिंह की पत्नी को चुनावी मैदान में उतारती है तो यहां भाजपा अपना प्रत्याशी चुनावी मैदान में नहीं उतारेगी। समीकरण के हिसाब से सर्वण, निषाद और भाजपा के वोट पूर्व प्रमुख की पत्नी की नैया पार कर सकते है, वहीं समाजवादी पार्टी के वर्तमान विधायक डा0 संग्राम सिंह यादव के लिए पूर्व प्रमुख वंदना सिंह मुश्किल खड़ी कर सकती है।