
लखनऊ : कुख्यात माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की हत्या के मामले में तत्कालीन जेलर उदय प्रताप सिंह को दोषी पाए जाने के बाद शासन ने उन्हें बर्खास्त कर दिया है.मुन्ना बजरंगी की 9 जुलाई, 2018 को बागपत जेल में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. आप को बतादें कि मुन्ना बजरंगी की पूर्व बसपा विधायक लोकेश दीक्षित से रंगदारी मांगने के आरोप में बागपत कोर्ट में पेशी होनी थी. उसे झांसी से बागपत लाया गया था. पेशी से पहले ही जेल के अंदर उसे गोली मार दी गई थी. मामले में 7 लाख का इनामी बदमाश सुपारी किलर रह चुका सुनील राठी को मुन्ना बजरंगी की हत्या में आरोपी बनाया गया है. उस वक्त सुनील राठी भी बागपत जेल में बंद था. मुन्ना बजरंगी पर 40 हत्याओं, लूट, रंगदारी की घटनाओं में शामिल होने का केस दर्ज थे.
कुख्यात माफिया डॉनमुन्ना बजरंगी यूपी पुलिस और एसटीएफ के लिए सिरदर्द बना हुआ था. वो सिंडिकेट तरीके से लखनऊ, कानपुर और मुंबई में क्राइम करता था. उस पर सरकारी ठेकेदारों से रंगदारी और हफ्ता वसूलने का भी आरोप था. इस मामले में मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने जेल के अंदर हत्या करने का आरोप लगाया था. मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह था. उसका जन्म 1967 में यूपी के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ था. उसके पिता पारसनाथ सिंह उसे पढ़ा-लिखाकर बड़ा आदमी बनाने का सपना संजोए थे. मगर प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी ने उनके अरमानों को कुचल दिया और अपराध का रास्ता चुन लिया. मुन्ना बजरंगी ने पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी. किशोर अवस्था तक आते-आते उसे कई ऐसे शौक लग गए, जो उसे जुर्म की दुनिया में ले जाने के लिए काफी थे.