
नई दिल्ली। केंद्र सरकार इस बार के बजट में एक धमाकेदार फैसला कर सकती है। विरासत की संपत्ति की संपत्ति एक बार फिर कर (इनहेरिटेंस टैक्स) के दायरे में लाई जा सकती है। इन दिनों वित्त मंत्रलय के गलियारे में इसकी काफी चर्चा है। इनहेरिटेंस टैक्स का प्रावधान 1985 में खत्म कर दिया गया था। लेकिन, अब सरकार बजट में इसकी घोषणा कर सकती है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने इसके लिए मसौदा तैयार कर लिया है। गिफ्ट या पैतृक संपत्ति पर लगने वाले टैक्स को इनहेरिटेंस टैक्स कहते हैं।नाम न छापने की शर्त पर वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार जनता की भलाई के लिए जानी जाती है। इस समय इनहेरिटेंस टैक्स लगाने का बेहतर मौका है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों ने स्कूल और यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों को दान दिया है, उन्हें कुछ छूट की पेशकश की जा सकती है। इसके लिए उन्होंने उच्च शिक्षा के मामले में अमेरिकन मॉडल का हवाला दिया।
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यदि सरकार वाकई पैतृक संपत्ति पर टैक्स लगाती है तो हो सकता है कि कुछ लोग इससे बचने के लिए दूसरे देशों का रूख कर लें। इस लिहाज से इनहेरिटेंस टैक्स लागू करना बड़ी चुनौती साबित होगी। भारत जैसे देश में जिन लोगों की पैतृक संपत्ति है, हो सकता है कि उनके पास टैक्स जमा करने के लिए पैसे ही न हों। ऐसे में टैक्स जमा करने के लिए संपत्ति बेचनी पड़ सकती है।
हालांकि इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि अमीरों पर टैक्स लगाना मुश्किल है, लेकिन इसे लागू करना आसान है। यह भी संभव है कि लोग अपनी संपत्ति पर टैक्स भुगतान से बचने के लिए अपनी संपत्ति ट्रस्टों के तहत ले आएं।
ऐसे टैक्स के लिए देश तैयार नहीं
सरकार ने इनहेरिटेंस टैक्स पर पहले भी चर्चा की थी, लेकिन इसे लागू नहीं कर पाई थी। “ट्रांजैक्शन स्कॉयर” के संस्थापक गिरीश वनवारी ने कहा, “कंपनियों, मुख्य कार्यकारी अधिकारियों और मुख्य शेयरधारकों ने बजट से पहले सर्वे में संकेत दिया था कि भारत अब तक इनहेरिटेंस टैक्स के लिए तैयार नहीं है।