
नई दिल्ली। ऊंचे कॉरपोरेट टैक्स की मार से कराह रहे उद्योग जगत को मोदी सरकार-2 के पहले आम बजट से टैक्स में राहत की उम्मीद है। उद्योग जगत की मांग है कि सरकार टर्नओवर के आधार पर भेदभाव खत्म करके सभी कंपनियों के लिए कारपोरेट टैक्स की दर घटाकर 25 फीसद करे।
माना जा रहा है कि कॉरपोरेट टैक्स का बोझ हल्का होने से न केवल घरेलू कंपनियां देश में अधिक निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होंगी, बल्कि विदेशी
पूंजी भी भारत का रुख करेगी।
चार्टर्ड एकाउंटेंट फर्म एसआर डिनोडिया एंड कंपनी एलएलपी के पार्टनर संदीप डिनोडिया ने कहा कि
चार्टर्ड एकाउंटेंट फर्म एसआर डिनोडिया एंड कंपनी एलएलपी के पार्टनर संदीप डिनोडिया ने कहा कि सरकार ने सालाना 250 करोड़ रुपए तक टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स की दर घटा दी है। लेकिन, बड़ी कंपनियों पर कॉरपोरेट टैक्स का बोझ 33 प्रतिशत से ऊपर है। इसके अलावा कंपनियों पर डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन (लाभांश वितरण) टैक्स का बोझ अलग है। कॉरपोरेट टैक्स के संबंध में छोटी और बड़ी कंपनी के आधार पर भेदभाव खत्म होनाचाहिए।
निर्यात फंड की सौगात भी संभव
अंतरराष्ट्रीय बाजार में निरंतर बदल रहे हालात की मार झेल रहे निर्यातकों को बजट में राहत की उम्मीद है। निर्यातकों के लिए न केवल सस्ते और आसान कर्ज के लिए विशेष उपायों का ऐलान हो सकता है, बल्कि एमएसएमई निर्यातकों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद के लिए विशेष फंड की स्थापना का प्रस्ताव भी आ सकता है। पिछले एक साल से निर्यातक कर्ज की कमी की समस्या झेल रहे हैं। खासतौर पर से बैंकों से मिलने वाले कर्ज की रफ्तार काफी धीमी है। इसके चलते निर्यातकों के एक वर्ग को ऑर्डर तक रद्द करने पड़े हैं।
निर्यातकों ने इस मसले को कई बार विभिन्न मंचों से उठाया। निर्यातकों के फेडरेशन फियो के पूर्व प्रेसिडेंट गणेश कुमार गुप्ता इस मसले को लेकर काफी मुखर रहे हैं। उन्होंने वाणिज्य और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के समक्ष निर्यातकों की इस दिक्कत को रखा। सरकार भी इस मामले को काफी गंभीरता से ले रही है। केंद्र में राजग की नई सरकार बनने के बाद वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल निर्यातकों की दिक्कतों को लेकर बैठक भी कर चुके हैं।